NEELAM GUPTA

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लेखनी प्रतियोगिता कविता संगीतमय रात

गजलों से सजी हुई थी महफ़िल।
पुराने गानों के शबाब में।
हर कोई था नबाब यहाँ।
झूमते हुए तराने के अल्फाज में।

सुरमई सपनों सा था समां।
चारों तरफ रोशनी का जादू बेमिसाल।
हर शख्स था इस संगीतमय तरानों के।
माहौल का कदरदान ।

थिरकते कदम थे सभी के ।
वाहे वाही थी जुबां पर।
पुराने गानों की धुनों पर।
उस रात का आगाज़ था शबा पर।

पूरी रात ऐसे ही गुज़र गयीं।
झूमने में होश ना था किसी को।
रुखसती का जब वक्त आया।
फना कर दिया इस शाम के ज़ाम को।

यादें बन जाती है ऐसी तलबगार रात।
जहाँ नज्म में डूबे हुए फ़नकार थे।
जिंदगी के पन्नो पर बन गयी एक अमिट छाप।
उस जादुई रात ने नगमों ने छेड़ी थी जब झंकार।


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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Dec-2021 09:03 PM

बहुत खूबसूरत

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Shilpa modi

16-Dec-2021 08:35 PM

वाह वाह क्या बात 👏

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Swati chourasia

16-Dec-2021 08:12 PM

Very beautiful 👌

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